जम्मू का ये दर भक्तों हम सब का ठिकाना है बन के पुजारिन एक दिन हमें मैया दर जाना है
मैया तेरे भवनों की कठिन चढ़ाई है टेढ़े मेढ़े रस्ते हैं हमें चढ़ के जाना है
मैया तेरे चरणों में गंगा की धारा है निर्मल जल धारा में हमें पापों को बहाना है
फूलों की लाल माला हम चुनकर के लाये हैं भेंट नारियल की हमें मैया को चढ़ाना है
बीच पहाड़ों में मैया मेरी बैठीं हैं चुनरी ओढ़ा कर के मां के दर्शन पाना है
जगमग ज्योति जले मैया जी के द्वारे पे उस पावन ज्योति से हमें घर जगमगाना है
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