प्रभू ने अजब लिखी तकदीर हरि ने अजब लिखी तकदीर
होना था अभिषेक राम का वन को गए रघुवीर प्रभू ने अजब लिखी तकदीर
हरिश्चंद्र था दानी राजा खाली न कोई द्वारे से जाता किस्मत ने क्या खेल रचाया बन गये आज फकीर प्रभू ने अजब लिखी तकदीर
नीर भरन श्रवण जब पंहुचे लागा तीर प्राण जब छूटे अंत समय में मात पिता को पिला सके न नीर प्रभू ने अजब लिखी तकदीर
द्रोपदी पांच पतियों की नारी सबने नीचे गर्दन डारी भरी सभा में लाज उतारी कृष्ण बढ़ा रहे चीर प्रभू ने अजब लिखी तकदीर
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