हाल क्या है दिलों का न पूछो बन्नी तुमसे मिलना मिलाना गजब हो गया हमारी पहली मुलाकात कुछ कम न थी डोर जीवन की बंधना गजब हो गया हाल क्या है दिलों का न पूछो बन्नी
पहले जब हम मिले मेरा मन खिल गया रस भरी तेरी अखियों ने जादू किया एक तेरी हंसी भी तो कुछ कम न थी रात सपनों में आना गजब हो गया
रोका भी हो गया टीका भी हो गया हल्दी लगने लगी मेहंदी रचने लगी मेरा घोड़ी पे चढ़ना तो कुछ कम न था तेरा डोली पे आना गजब हो गया
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