ये तो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी इसे कौन ले आया मेरे रघुवर की
माता भी छोड़ी मैंने पिता भी छोड़े , छोड़ी जनकपुरी मेरे रघुवर की
संग भी छोड़ा मैंने साथ भी छोड़ा , छोड़ी सखी सहेली मेरे बचपन की
सास भी छोड़ी मैंने ससुर भी छोड़े , छोड़ी अवधपुरी मेरे रघुवर की
राम भी छोड़े मैंने लक्ष्मण भी छोड़े , छोड़ी पंचवटी वन उपवन की
सुनके वचन तब हनुमत बोले इसे मैं ले आया श्री रघुवर की
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