श्याम छलिया बन के आय गयो रे💃कीर्तन में रंग जमाने वाला कृष्ण भजन सुनते ही नाचने लगोगे💃

 

 

छलिया छलिया छलिया श्याम छलिया बन के आय गयो रे 

बागों गई थी फुलवा तोड़न को , धर मालिन का भेष श्याम छलिया बन के आय गयो रे 

तालों गई थी कपड़ा धोबन को , धर धोबिन का भेष श्याम चुनरी लेके आय गयो रे 

कुयनों गई थी पनिया भरन को , धर कहरिन का भेष श्याम गगरी ले के आय गयो रे 

महलों गई थी भोजन बनाने , धर कान्हा का भेष श्याम माखन खाने आय गयो रे 




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