बीती आधी रात हनुमान न आये रे हनुमान न आये रे बूटी न लाये रे
लक्ष्मण भैया जरा अंखियां तो खोलो , अंखियां तो खोलो जरा मुख से बोलो , ऊपर काले काले बादल छाए रे हनुमान न आये रे बूटी न लाये रे
लौट अयोध्या कैसे मैं जाऊंगा मात सुमित्रा को क्या बतलाऊंगा , मात सुमित्रा रूदन मचाये रे हनुमान न आये रे बूटी न लाये रे
शोक नहीं है मुझे पिता के मरण का शोक नहीं है मुझे सिया के हरण का , भरत अयोध्या में आंसू बहाये रे हनुमान न आये रे बूटी न लाये रे
होने न दूंगा भैया जब तक सबेरा अंखियां तो खोलो जरा मुख से तो बोलो , इतने में हनुमत बूटी ले आये रे हनुमान लौट आए रे लक्ष्मण बचाये रे
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