ये श्याम तेरी बंशी दीवाना बनाती है मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है
ये सोने की होती तो जाने क्या करती , ये बांस की होकर के इतना तड़फाती है
गैंयां भी चराती है माखन भी चुराती है , मधुवन में राधा को ये नाच नचाती है
जब दिन में बजती है तो चैन चुराती है , रातों को बांसुरिया मेरी नींद उड़ाती है
गर सीधे होते तो क्या करते तुम मोहन , तेरी टेड़ी चालों पे सखियां मर जाती हैं
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