राम के रसिया हैं मेरे बालाजी महाराज
राम काज करवे को आतुर पानी में पत्थर तैराये , रावण के तूने छक्के छुड़ाये ऐसे मेरे हनुमान राम के रसिया हैं मेरे बालाजी महाराज
विभीषण है राम का प्यारा रावण ने उसे घर से निकाला , राम भक्त देखा लंका में झूम उठे हनुमान राम के रसिया हैं मेरे बालाजी महाराज
राम काज इन्हें खूब संवारा राम शरण इन्हें सबसे प्यारा , देखा रूप जब मात सिया का खुश हो गए हनुमान राम के रसिया हैं मेरे बालाजी महाराज
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