मीठे लगें तेरे बेर शबरी मीठे लगें
ये तो बता दो लाई कहां से , दिये हैं सब रस गेर शबरी मीठे लगें
सारे वनों में हम घूमे हैं , खाये न ऐसे बेर शबरी मीठे लगें
रामचन्द्र जी ने प्रेम से खाये , लक्ष्मण दिये बिखेर शबरी मीठे लगें
रामचन्द्र जी देख मुस्काये , खाने पड़ेंगे तुम्हें बेर शबरी मीठे लगें
जब लक्ष्मण को मूर्छा आई , बूटी बन गये बेर शबरी मीठे लगें
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