श्याम ऐसी बजाई मुरलिया मेरी यमुना में बह गई गगरिया
गई जमुना के तीर वहां भरने को नीर , वहां मिल गये कृष्ण कन्हैया मेरी यमुना में बह गई गगरिया
सुध बुध खो गई बाबरी हो गई , मेरी खो गई पांव की पायलिया मेरी यमुना में बह गई गगरिया
कभी इधर चलूं कभी उधर चलूं , मैं तो भूल गई घर की डगरिया मेरी यमुना में बह गई गगरिया
श्याम आ जाओ न हमको तड़फाओ न तड़फूं मैं जैसे जल बिन मछलिया मेरी यमुना में बह गई गगरिया
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