अरी वो तो जादू टोना कर गयो री वो श्याम मुरलिया वालो
भूख लगे न मोहे प्यास लगे न जीने की मोहे आस लगे न मोपे ऐसो जादू कर गयो रे वो श्याम मुरलिया वालो
भूल गई मैं घर को धंधो ऐसो लगो मोहे प्रेम को फंदो अरी मेरो जीना मुश्किल कर गयो री वो श्याम मुरलिया वालो
अच्छा सा कोई बैघ बुलाओ उससे मेरी नब्ज दिखाओ अरी मुझे अपनी जोगन कर गयो री वो श्याम मुरलिया वालो
अपनी तो मैंने सुध बुध खोई श्याम श्याम कह बाबरी होई मोहे बृंदावन बुलाय गयो री वो श्याम मुरलिया वालो
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