तुलसा ने मंगाई लाल साड़ी ले आये बनवारी मग्न होके लहरा रहीं
खुश होके तुलसा ने बक्से में धर लयी , पहनूंगी तीज त्योहारी ले आये बनवारी मग्न होके लहरा रहीं
एक दिन पहन तुलसा बाहर को निकलीं , रास्ते में मिल गई राधा प्यारी ले आये बनवारी मग्न होके लहरा रहीं
राधा ने पूंछा साड़ी पीहर से आई , क्या तेरी सासू ने मंगाई ले आये बनवारी मग्न होके लहरा रहीं
न साड़ी बहना पीहर से आई , न सासू मां ने मंगाई ले आये बनवारी मग्न होके लहरा रहीं
ये साड़ी मेरे सांवरिया ले आये , मैं उनके चरणों की दासी ले आये बनवारी मग्न होके लहरा रहीं
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