सिया से कहे हनुमाना रे माँ क्यों सिंदूर लगाया
पूछें जब हनुमान गोसाईं सुन के सीता माँ मुस्काई भेद ये मुझे बताना रे माँ क्यों सिंदूर लगाया सिया से कहें हनुमाना रे मां क्यों सिन्दूर लगाया
माँ ने हनुमत को समझाया फिर सिंदूर का भेद बताया प्र्सन होते भगवान रे तभी मैंने सिन्दूर लगाया सिया से कहे हनुमाना रे माँ क्यों सिंदूर लगाया
हनुमत को ये वचन सुहाई मेरे राम को रंग ये भाये विचार ये मन में थाना रे माँ क्यों सिंदूर लगाया सिया से कहें हनुमाना रे मां क्यों सिन्दूर लगाया
करतब हनुमत करे निराला बदन सिंदूरी सब कर डाला प्रभु को मुझे मनाना रे तन पे सिंदूर लगाया सिया से कहे हनुमाना रे माँ क्यों सिंदूर लगाया
लाल रंग में देखे हनुमान चकित होक पूछे श्री राम ये लीला क्या है बताना रे तुमने क्यों सिन्दूर लगाया सिया से कहे हनुमाना रे माँ क्यों सिंदूर लगाया
वचन फिर श्री राम ने बोला यही रंग होगा तुम्हारा चोला सदा सिन्दूर लगाना रे वरदान राम से पाया सिया से कहें हनुमाना रे मां क्यों सिन्दूर लगाया
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