आसरा इस जहां का मिले न मिले मुझको तेरा सहारा सद चाहिए💐कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर मधुर भजन💐

 

 

आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिए 

चाँद तारे गगन में दिखे ना दिखे मुझको तेरा नजारा सदा चाहिये आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये 

यहाँ खुशियों हैं कम और ज्यादा है गम जहाँ देखो वहीं है, भरम ही भरममेरी महफिल में शमां जले ना जले मेरे दिल में उजाला तेरा चाहिये आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। 

मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये 

कभी वैराग है, कभी अनुराग है यहाँ बदले है माली, वही बाग़ है मेरी चाहत की दुनिया बसे ना बसे मेरे दिल में बसेरा सदा चाहिये आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये 

मेरी धीमी है चाल और पथ है विशाल हर कदम पर मुसीबत, अब तू ही संभाल पैर मेरे थके हैं, चले 

ना चले मेरे दिल में इशारा तेरा चाहिये आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये 

चाँद तारे गगन में दिखे ना दिखे मुझको तेरा नजारा सदा चाहिये आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये 




Share:

No comments:

Post a Comment