जीवन में जी कर देख लिया आराम तो है पर चैन नहीं
घर बार दिया परिवार दिया घर में एक सुंदर नार दिया
मुझे मोह माया ने घेर लिया आराम तो है पर चैन नहीं
मुझे बेटा दिया और बेटी दई दाता ने रोटी दाल दयी
मुझे भरम जाल ने बांध लिया आराम तो है पर चैन नही
सीता की सखियां लाखों थी जब वन को गईं तब कोई नहीं
वहां खड़ी पुकारें रोय रहीं मेरे चारों ओर अंधेरा है
जीवन में जी कर देख लिया आराम तो है पर चैन नहीं
मेरी बीच भंवर में नैया है प्रभु कोई न पार लगइया है
आ जाओ मेरे प्राण नाथ मेरी नैया पार लगा जाओ
जीवन में जी कर देख लिया आराम तो है पर चैन नहीं
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