मुझे जगदम्बे मां ने बुलाया चली में मां के दर को चली मेरी मां का संदेशा आया चली मैं मां के दर को चली
ऊंचे पर्वत भवन निराला भक्तों के जीवन का सहारा मेरे बार बार सपनों में आया चली मैं मां के दर को चली
चरणों में मैया के जाऊं बलिहारी भक्तों की रक्षक संकट हारी मुझको मां तेरा सहारा चली मैं मां के दर को चली
मेरे मन की एक अभिलाषा हरदम तेरे दरश की आशा मां के चरणों में जीवन बिताना चली मैं मां के दर को चली
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