पर्वत का नजारा कोयल करे शोर मैया तेरे भवन में बाजे घंटों की घनघोर
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे गुफा है निराली जहां बैठीं सेवा करती जग रखवाली रिमझिम पानी बरसे नाचत है वन में मोर मैया तेरे भवन में बाजे घंटों की घनघोर
तेरे भवन में मैया भीड़ लगी भारी दर्शन को करने आये नर और नारी लम्बी हैं कतरें भक्तों का बड़ा शोर मैया तेरे भवन में बाजे घंटों की घनघोर
भक्त तुम्हारे मैया अरज लगावें लिख लिख पाती भेजें तेरे द्वारे तेरे ही चरणों में बंधी है जीवन डोर मैया तेरे भवन में बाजे घंटों की घनघोर
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