भक्तो ने पुकारा हैं एक बार चली आओ, मेरे द्वार चली आओ जगदम्बे चली आओ,माँ अम्बे चली आओ जगदम्बे चली आओ, निर्धन के घर भी माँ एक बार चली आओ,मेरे द्वार चली आओ माँ अम्बे चली आओ,
ममता की छाओ तले कब मुझको शरण दोगी, रो रो के मनाऊंगी कब तक यु रूठोगी,अपने बच्चो को माँ इतना भी ना तरसाओ, माँ अम्बे चली आ
हर ईंट मेरे घर की माँ तुझको पुकारेगी, देहलीज़ तेरे चरणों की राह निहारेगी,मेरे घर का भी माँ आ भाग जगा जाओ, एक बार चली आओ
मैंने ये सुना है माँ ममता की मूरत है, आज तेरी ममता की माँ मुझको जरूरत है,मैं तड़प रही पल पल इतना भी ना तड़पाओ, एक बार चली आओ
तेरे ही सहारे हूँ मैं और कहाँ जाऊ, दर्शन के प्यासे दिल को कैसे समझाऊ,मुझ पे मेहरा वाली माँ मेहर तो बरसाओ, एक बार चली आओ
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