यहां वहां जहां तहां मत पूछो कहां कहां हैं संतोषी मां अपनी संतोषी मां अपनी संतोषी मां
जल में भी थल में भी नभ में अचल में भी अतल वितल में भी मां अपनी संतोषी मां
बड़ी अनोखी चमत्कारिनी हैं अपनी माई , राही को पर्वत कर सकतीं पर्वत को राही द्वार खुला दरबार खुला है आओ बहन भाई ,
इसके दर पर कभी दया की कमी नहीं आई , पल में निहाल करें दुखों को निकाल करें सबकी सुनतीं मां अपनी संतोषी मां
गौरी सुत गणपति की बेटी ये हैं बड़ी भोली , देख देख कर इसका मुखड़ा हर एक दिशा डोली , आओ रे भक्तों ये माता हैं
सबकी हमजोली , जो मांगोगे तुम्हें मिलेगा भर लो रे झोली , उज्जवल उज्जवल निर्मल निर्मल सुंदर सुंदर मां अपनी संतोषी मां
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