आ जाओ गजानन गोदी में अब रात गुजरने वाली है
चंदा की चमक सूरज की महक तारों में समाने वाली है
गंगा की लहर यमुना की लहर सागर में समाने वाली है
बरगद की महक पीपल की महक तुलसी में समाने वाली है
ब्रम्हा के वेद विष्णु का शंख भक्तों मे समाने वाली है
ताली की खनक कीर्तन की खनक सत्संग में समाने वाली है
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