हरी जी मोहे लागे वृन्दावन नीको
घर घर तुलसी ठाकुर सेवा, दर्शन गोविंद जी को
हरी जी मोहे लागे वृन्दावन नीको...
निर्मल नीर बहत यमुना को, भोजन दूध दही को
हरी जी मोहे लागे वृन्दावन नीको...
रतन सिंहासन आप विराजे, मुकुट धरे तुलसी को,
हरी जी मोहे लागे वृन्दावन नीको....
कुंजन कुंजन फिरत राधिका, शब्द सुनत मुरली को,
हरी जी मोहे लागे वृन्दावन नीको...
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको,
हरी जी मोहे लागे वृन्दावन नीको..
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