बंशी ओ बंशी इतना बता दे कौन सा पुण्य किया है खुश होकर के कान्हा ने हाथों में थाम लिया है बंशी बोलो न बंशी बोलो न
सोने चांदी की होती तो क्या से क्या कर जाती बांस की होकर के मुरली तू है इतना इतराती सबको बस में करने वाली
श्याम को बस में किया है खुश होकर के कान्हा ने हाथों में थाम लिया है बंशी बोलो न बंशी बोलो न
पीपल की छैंया में कान्हा जब जब बंशी सुनायें ताता थैया ताता थैया राधा नाचने आये मुरली की धुन जिसने सुनी है
घायल वो तो हुआ है खुश होकर के कान्हा ने हाथों में थाम लिया है बंशी बोलो न बंशी बोलो न
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