जटा से गंगा टपके ओ डमरू वाले
कानों में बिच्छू के कुंडल प्यारे माथे पे चन्दा से जग उजियारे नशे में भांग गटके ओ डमरू वाले
हाथों में त्रिशूल नेत्र तेरे तीन जी डम डम डमरू बाजे बाज रही बीन जी गौरा के संग मटके ओ डमरू वाले
अंग भभूति सोहे ओढ़े मृगछाला जी रूप है विशाल भोले नंदी पे सवार जी भुजंग अंग लटके ओ डमरू वाले
महिमा है अपार कोई पार नही पाये जी चरणों में विनती दर्शन देना बारम्बार जी भक्तों का मन अटके ओ डमरू वाले
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