कन्हैया मेरे सपने में आय गयो रे मैं पकड़न चली वो तो भाग गयो रे
रात मैंने सोचा था बृंदावन जाऊं वो तो बृंदावन से मथुरा चलो गयो रे मैं पकड़न चली वो तो भाग गयो रे
रात मैंने सोचा था मथुरा जाऊं वो तो मथुरा से द्वारिका चलो गयो रे मैं पकड़न चली वो तो भाग गयो रे
रात मैंने सोचा द्वारिका जाऊं वो तो द्वारिका से बैकुंठ चलो गयो रे मैं पकड़न चली वो तो भाग गयो रे
रात मैंने सोचा बैकुंठ जाऊं वो तो बैकुंठ से सत्संग में चलो गयो रे मैं पकड़न चली वो तो भाग गयो रे
रात मैंने सोचा सत्संग में जाऊं वो तो भक्तों के दिल में बस गयो रे मैं पकड़न चली वो तो भाग गयो रे
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