गणपति लाला रोवे भोला अब न घोंटू भंगिया
सुबह भी घोंटी शाम को घोंटी घोंटत घोंटत हारी , हाथों में मेरे छाले पड़ गए घोटत भंगिया गणपति लाला रोवे भोला अब न घोंटू भंगिया
गणपति मेरो प्राण से प्यारो रोवत नाहीं छोड़ूं , गोदी से जो उसे उतारूं भाग जायेगी निंदिया गणपति लाला रोवे भोला अब न घोंटू भंगिया
भोले हंसे गौरा मुस्काईं देख लाल को अपने , ले लो गोदी मैया अब न पीसो भंगिया गणपति लाला रोवे भोला अब न घोंटू भंगिया
जग से निराला गणपति लाला सबसे पहले पूजा , सारी दुनिया इन्हें मनावे और कोई न दूजा गणपति लाला रोवे भोला अब न घोंटू भंगिया
No comments:
Post a Comment