शिव तो ठहरे संन्यासी गौरा पछताओगी
न कोई भाई बहना न कोई रिश्तेदारी , हाल अपने दिल का गौरा किसको सुनाओगी
भांग धतूरे का भोग लगाते हैं , घोंट घोंट भांग गौरा शिव को पिलाओगी
मस्त मलंग बाबा मस्ती में रहते हैं , सोलह श्रृंगार गौरा किसको दिखाओगी
तुम तो ठहरीं भोली भाली गौरा नही पछताई , ऐसा वर पाया मैंने तुम ही पछताओगी
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