सावन की बरसे ठंडी फुहार पेड़ों पे झूलों की लगी है कतार राधा झूला झूल रहीं संग श्याम के
घिर गईं घटायें और रिमझिम बरसता है सावन बिन पिया है सूना और सूना है मन का बृंदावन यादों के झूले में मैं भी झूला झूल रही संग श्याम के
खिल उठीं कलियां और फूलों का मन मुस्कराया गीत गाती हवायें और कोयल ने भी सुर लगाया सबका मन झूम उठा झूलने की ॠतु आई संग श्याम के
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