तेरे दरबार में भोले बड़ी आशा से आई हूं नही सुनता कोई मेरी सुनाने तुमको आई हूं
मेरी छोटी सी दुनिया में अंधेरा ही अंधेरा है जला दो दीप आशा का तमन्ना लेके आई हूं
नही कुछ पास है मेरे जो तेरी मैं नजर कर दूं मगर एक आंसुओं का मैं पिटारा साथ लाई हूं
बहुत ढूंढ़ा तुझे लेकिन मिला न तू कहीं मुझको तू बस एक बार मिल जाए दर्श पाने को आई हूं
मेरा अज्ञान ही तो था जो तुमको मैं भुला बैठी मगर एक ज्ञान का दीपक जलाने आज आई हूं
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