लक्ष्मी के पति जग के स्वामी क्षीरसागर में सोते मिलेंगे
भाग्य रिद्धि सिद्धि के खुल गये हैं उन्हें गणपति पति मिल गये हैं जरा मन्दिर में जाकर के देखो वो तो विघ्नों को हरते मिलेंगे
भाग्य ब्रम्हाणी के खुल गये हैं उन्हें ब्रम्हा पति मिल गये हैं जरा ब्रम्हांड में जाकर के देखो वो तो सृष्टि रचाते मिलेंगे
भाग्य लक्ष्मी मां के खुल गये हैं उन्हें विष्णु पति मिल गये हैं जरा बैकुंठ में जाकर के देखो वो तो शंख बजाते मिलेंगे
भाग्य गौरा मां के खुल गये हैं उन्हें भोले पति मिल गये हैं जरा कैलाश पे जाकर के देखो वो तो डमरू बजाते मिलेंगे
भाग्य सीता मां के खुल गये हैं उन्हें राम पति मिल गये हैं जरा अयोध्या में जाकर के देखो वो तो वचन निभाते मिलेंगे
भाग्य रूक्मिणी के खुल गये हैं उन्हें कृष्ण पति मिल गये हैं जरा गोकुल में जाकर के देखो वो तो बंशी बजाते मिलेंगे
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