है गुरुवर तेरा साथ मेरे सिर पे तेरा हाथ तुम कितने दयालु हो गुरु तुम कितने कृपालु हो
तेरे द्वारे जो भी आता मुंह मंगिया मुरादा पाता भरते सबके भंडार मिल जाता आशीर्वाद तुम कितने दयालु हो गुरु तुम कितने कृपालु हो
जो शरण तुम्हारी आता भवसागर से तर जाता तेरा नाम सुखों का सार हो जाता बेड़ा पार तुम कितने दयालु हो गुरु तुम कितने कृपालु हो
बिन गुरुवर ज्ञान नही है तेरा जग में नाम नही है गुरु चरणों में शीश झुका बन जायेंगे बिगड़े काम तुम कितने दयालु हो गुरु तुम कितने कृपालु हो
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