विपत्ति में कोई न सहाइया शिव गुरु बिन भैया
अहो शिव गुरु बिन भैया अहो शिव गुरु बिन बहना डूब जाये भव सागर में नैया शिव गुरु बिन भैया
पहला विपत्ति ओ अहले मानुष जन्म भइले काम क्रोध लोभ मोह में जीवन फंसी गइले कोई नहीं संकट से बचवइया शिव गुरु बिन भैया
दूसरा विपत्ति ओ अइले माया में फंसी हो गइले माया के बजरिया में आपन ये मनुवा रमैले बीती जालक समझे के समझैया शिव गुरु बिन भैया
तीसरा विपत्ति ओ भारी कब राखी भोला बिहारी भाई हरेंद्र नीलम दीदी के तु लेलो दुआरी कोई न मिलै राह दिखवैया शिव गुरु बिन भैया
No comments:
Post a Comment