शिव जी तेरे मन्दिर में आकर मेरा मन पावन हो जाता है
तेरी भोली सूरत देख के शिव मेरा मन प्रसन्न हो जाता है
ये जग सारा बेगाना है बस तुझे ही अपना माना है मैं तेरी हूं तू मेरा है ये अपनापन का नाता है
पग पग पर घना अंधेरा है मुझे लोभ मोह ने घेरा है बस तेरा नाम मुझे भोले एक नई राह दिखलाता है
तू अजर अमर अविनाशी है तू स्वामी घट घट वासी है मुझे तेरे सिवा इस दुनिया में कुछ और नजर नही आता है
तेरी धुन में तेरा मस्ती में मैं मग्न हूं तेरी भक्ति में मैं खुद को धन्य समझती हूं जब तू अपने दर बुलाता है
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