उमापति रखियो मेरी लाज हे त्रिपुरारी तुम्हें पुकारूं दर्शन दे दो आज उमापति रखियो मेरी लाज
जोड़ लिये हैं प्रीति के धागे सब फीका लागे तेरे आगे , तेरे नाम से आत्म जागे दूर दूर सब अवगुण भागें , रोम रोम में मेरे भोले तेरी ही आवाज उमापति रखियो मेरी लाज
तेरी दया के बादल बरसें व्याकुल मनुवा काहे तरसे , टाली विपदा मेरे सिर से सुख पायें हम तेरे दर से , भाग्य विधाता अन्तर्यामी देवों के सरताज उमापति रखियो मेरी लाज
कभी न टूटे मेरी भक्ति ऐसी देना मन को शक्ति , मुझे बता दो ऐसी युक्ति भव बंधन से पाऊं मुक्ति , सदा सांस में हरदम गूंजे तेरे ही सुरसाज उमापति रखियो मेरी लाज
जग जीवन के भाग्य विधाता तेरा सुमिरन मन को भाता , बंधु सखा तुम ही पिता माता पारब्रम्ह परमेश्वर दाता , तीन लोक के नाथ तुम्हीं हो पूरण करना काज उमापति रखियो मेरी लाज
संग सजे गौरा महारानी गोद बिराजे गणपति ज्ञानी , जटा धरे श्री गंगे भवानी अखिलेश्वर शिव औघड़ दानी , तेरी कृपा का पार नहीं है मेरे शम्भु नाथ उमापति रखियो मेरी लाज
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