पधारो राम पूजा में हृदय मन्दिर सजाया है तुम्हारे वास्ते रघुवर विमल आसन सजाया है
लिये जल नैन पात्रों में खड़ी हूं पैर धोने को , पहन लो प्रेम की माला बहुत रूचिकर बनाया है
श्रद्धा के वस्त्र आभूषण करूं मैं आपको अर्पण , बड़े ही भाव से मैंने राम दरबार लगाया है
उतारूं आरती भगवन सजाई भोग की थाली , चरण कमलों में हे रघुवर मनोहर मन लगाया है
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