खड़ी हूं दर पे दर्शन को चरण शिव जी के छूने को
अगर मैं जल चढ़ाती हूं तो वो मछली का जूठा है इसी से मन ये डरता है भोले तुम्हें जल चढ़ाने को
अगर मैं फल चढ़ाती हूं तो वो पक्षी का जूठा है इसी से मन ये डरता है भोले तुम्हें फल चढ़ाने को
अगर मैं फूल चढ़ाती हूं तो वो भंवरे का जूठा है इसी से मन ये डरता है भोले तुम्हें फूल चढ़ाने को
अगर मैं दूध चढ़ाती हूं तो वो बछड़े का जूठा है इसी से मन ये डरता है भोले तुम्हें दूध चढ़ाने को
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