अरे गऊ माता रोवें ठाड़ी तबेले में
अरे जा दिन से तेरे घर आई अरे मैंने भर पेट सानी न खाई
अरे मेरो दूध पी लियो भर भर के बेले में
अरे मैंने इतने बछड़ा दिये उन्हें तूने हल में खूब चलाये
अरे तेरे बोझा ढोये भर भर के ठेले में
अरे बाहर से आया कसाई अरे वाने हाथ में ले लयी साई
अरे मत बेंच रे पापी पैसा के लोभे में
अरे तेरे घर में नर और नारी अरे एक गइया पड़ गई भारी
अरे लाखों गाय चरायें मोहन अकेले में
No comments:
Post a Comment