मैं बनकर मोर रंगीला यमुना के तट पर आऊं तुम मुरली मधुर बजाना मैं प्रेम से नाचूं गाऊं
मैं बन के जल की मछली यमुना जल में छिप जाऊं , मेरे श्याम नहाने आयें मैं चरण कमल रज पाऊं
मैं बन के वन का पपीहा मैं पिहू पिहू रटन लगाऊं , तुम स्वाति बूंद बरसाना मैं पी के अमर हो जाऊं
मैं बन के बांस की पोरी तेरे अधरों पे लग जाऊं , तुम प्रेम से मुझे बजाना मैं प्रेम सुधा बरसाऊं
मैं बन के श्याम चकोरी मैं नील गगन उड़ जाऊं , तुम मिलना प्रियतम प्यारे मैं तड़प तड़प मर जाऊं
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