मथुरा में कन्हैया जब से गये हम सब का सहारा छूट गया इस कंस के अत्याचारों से बृजमंडल सारा छूट गया
बृजनंद यहां जब से आये सुख चैन की बंशी बजती थी मनमोहन सबको छोड़ गये अब भाग्य हमारा फूट गया
रत्नागिरी कृष्ण कन्हैया ने बृज से विपदाएं टाली थीं वो काले नाग का नाथैया घनश्याम हमारा रूठ गया
बंशी की सुरीली तानों में बंशीधर मोहित करते थे क्या चूक विशेष हुई हमसे वो प्राण प्यारा छूट गया
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