लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी
एक तो जंगल में कंकड़ बहुत हैं , लक्ष्मण पैरों में पड़ गए छाले लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी
दूजे जंगल में कांटे कंटीले , लक्ष्मण मेरी फट गई साड़ी लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी
एक तो छूटी मेरी संग सहेली , लक्ष्मण दूजी छूटी महतारी लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी
कहत कबीर सुनो भाई साधो , लक्ष्मण कर्मो की गति न्यारी लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी
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