गंगा मैया भजन : चाहे घर छूटे चाहें द्वार मैं गंगा नहाने जाऊं मैं डुबकी लगाने जाऊं (सुपर भजन)

 

 

चाहें घर छूटे चाहें द्वार मैं कुंभ नहाने जाऊं 

मै मेला देखने जाऊं 

मेरे ससुर कहें न जाओ मेरी सासू कहें न जाओ 

देवर पैंया पड़ें हमार मैं कुम्भ नहाने जाऊं 

मेरे जेठ कहें न जाओ मेरी जिठनी कहें न जाओ 

अंगना ननदी रोयें हमार मैं कुम्भ नहाने जाऊं 

पड़ोसी कहें न जाओ पड़ोसिन कहें न जाओ 

रास्ता रोकें बलम हमार मैं कुम्भ नहाने जाऊं

सब देव कुम्भ में आये साधू सन्यासी आये 

भव से हो जाये बेड़ा पार मैं कुम्भ नहाने जाऊं 

तुम सब चलो हमारे साथ मैं कुम्भ नहाने जाऊं 




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