सदगुरु आये हैं जग में हमारे लिए ज्ञान वर्षा हुई है हमारे लिए
देखने में गुरू अपने साकार हैं पर ये सच है यही वो निराकार हैं डूबतों को उबारें जो भव में गिरे
सतगुरु आये हैं जग में हमारे लिए
सच के पथ से तो रहते हैं अंजान हम मिथ्या बातों से होते परेशान हम यूं ही चलते तो बन जाते शैतान हम अब ये जाना प्रभू की हैं संतान हम
सतगुरु आये हैं जग में हमारे लिए
तेरा शुकराना मैं किस जुवां से करूं ऐसा वर दो कि वचनों पे तेरे चलूं और कर्मों के बंधन न बांधें मुझे
सतगुरु आये हैं जग में हमारे लिए
गुरु का समझो इशारा तो जागो प्यारे अब न भूलें हृदय से हरी एक पल साधु संगत है मिलती बड़े भाव से सतगुरु आये हैं जग में हमारे लिए
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