श्री राम से कह देना एक बात अकेले में रोता है भरत भैया दिन रात अकेले में
बनवारी गये वन में फिर भी तो यही मन में रटता हूं सदा रटना दिन रात अकेले में
रो रो के बिताये हैं कई साल अयोध्या में आंखों से बहें आंसू दिन रात अकेले में
इस राज की ममता ने भैया से बिछोह दिया ये भेद किया मां ने भैया सौतेले में
लक्षमण बड़भागी हैं रहता प्रभू चरणों में मुझे मौत नही आई दुनिया के अंधेरे में
No comments:
Post a Comment