बिगड़ी सबकी बनाते भोले भंडारी नैया पार लगाते भोले भंडारी गंगाजल स्नान कराये जो इनको उनकी झोली भरते भोले भंडारी
वेलपत्री जो चढ़ाये प्रेम से शिव को खुशियों का वरदान देते शिवशंकर उसको , भोले भोले मेरे भोले
पल भर में खुश होते भोले भंडारी नैया पार लगाते भोले भंडारी
दीन दुखिया जो भी इनकी शरण में आते मेरे भोलेनाथ उनको अपना बनाते भोले भोले मेरे भोले
सबको हृदय लगाते भोले भंडारी नैया पार लगाते भोले भंडारी
समुद्र मंथन जब किया था देवों ने असुरों ने सारे जगत के खातिर बाबा विष पिया तूने भोले भोले मेरे भोले
नीलकंठ कहलाते तब से त्रिपुरारी नैया पार लगाते भोले भंडारी
रूप भैरव का मेरे भोले ने धारा है हनुमत बनके भक्तों को संकट से उबारा है भोले भोले मेरे भोले
लीला अजब रचाते भोले भंडारी नैया पार लगाते भोले भंडारी
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