गलियों में फिरे अकेला मेरा श्याम बड़ा अलबेला
कभी गंगा नहाये कभी सरयु नहाये कभी यमुना नहाये अकेला मेरा श्याम बड़ा अलबेला
कभी ग्वालों के संग कभी सखियों के संग कभी गउवें चराये अकेला मेरा श्याम बड़ा अलबेला
कभी माखन चुराये कभी ग्वालों संग खाये कभी मटकी में मार जाये ढेला मेरा श्याम बड़ा अलबेला
कभी राधा नचाये कभी सखियां नचाये कभी रास रचाये अकेला मेरा श्याम बड़ा अलबेला
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