ये गोटेदार चुनरी आईं मां ओढ़ के मेरे घर आईं मैया मन्दिर को छोड़ के
जयपुर शहर से मैंने चुनरी मंगाई , गोटा किनारी से खूब सजाई आ गई तो आ गई मैया चुनरी को ओढ़ के
ब्रम्हा जी आये मैया विष्णु जी आये , नारद भी आये मैया जयकारा बोल के
राम भी आये मैया लक्ष्मण भी आये , हनुमत भी आये मैया जयकारा बोल के
पान चढ़ाऊं मैया फूल चढ़ाऊं , नारियल चढ़ाऊं मैया जयकारा बोल के
बड़े भी आये मैया छोटे भी आये , संगत भी आई मैया घर द्वारा छोड़ के
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