मेरी मैया के आने से हुआ जग मग चमन सारा कहो कैसे करूँ वर्णन जो माँ का रूप है प्यारा
मुकुट सर पे शुशोभित है सजी माथे पे है बिंदिया
बरसता प्यार नजरो से लुटाती भक्त पे सारा
कहो कैसे
झूलते कान में कुण्डल , नाक में सुर सुहाती है
मधुर मुस्कान अधरों पे गले मे हार है प्यारा
कहो कैसे
खना खन बज रहे कंगना , सजे हैं हाथ मेहन्दी से
अभय करती उठा कर हाथ हर लेती वो दुःख सारा
कहो कैसे
मेरी मईया के तन पे है , सुहाती लाल रंग साडी
लगाती भोग हलवे का बरसाती प्रेम रस धारा
कहो कैसे
सवारी सिंह की करती , कष्ट भक्तो के हैं हरती
जहाँ में जो भी होता है इन्ही का खेल है सारा
कहो कैसे
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