मेरी बिगड़ी बना दो जगदम्बे मैं अर्जी लेकर आई हूं
तेरा बीच गुफा में डेरा हैं वहां रहता सिंह का पहरा है , मां चढके कठिन चढ़ाई मैं तेरे दर्शन करने आई हूं
ममता मयी रूप तुम्हारा है तेरे पग में गंगा धारा है , गंगा की धार नहाने को मैं शरण तुम्हारे आई हूं
तेरे भवन में मेले लगते हैं वहां ध्वजा नारियल चढ़ते हैं , तुम्हें भेंट चढ़ाने के खातिर मैं लाल चुनरिया लाई हूं
तू बिगड़ी बनाने वाली है तू संकट हरने वाली है , मैया दुखड़े अपने सुनाने को मैं तेरी नगरिया आई हूं
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