ओ मेरी अम्बे मैया मेरी जगदम्बे मैया मेरे दुख दूर करो मेरी मां विनती सुनो
मन्दिर आती रही और कहती रही मेरे मांगो का सिंदुरा अमर कर दो तुम बिन जाऊं कहां और सुख पाऊं कहां मेरे दुख दूर करो मेरी मां विनती सुनो
मन्दिर आती रही और कहती रही मेरे हाथों की मेहंदी अमर कर दो तुम बिन जाऊं कहां और सुख पाऊं कहां मेरे दुख दूर करो मेरी मां विनती सुनो
मन्दिर आती रही और कहती रही मेरे पैरों की महावर अमर कर दो तुम बिन जाऊं कहां और सुख पाऊं कहां मेरे दुख दूर करो मेरी मां विनती सुनो
मन्दिर आती रही और कहती रही मेरे सिर की चुनरिया अमर कर दो तुम बिन जाऊं कहां और सुख पाऊं कहां मेरे दुख दूर करो मेरी मां विनती सुनो
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