ज्योति जलेगी मां आना पड़ेगा गरीबों के घर भोग खाना पड़ेगा
नही है मिश्री मेवा खिचड़ी ही मिलेगा गरीबों के घर भोग खाना पड़ेगा
भावी के फूलों से कुटिया सजाई माही के रंगों से शोभा बढ़ाई , घास का आसन बिछाना पड़ेगा गरीबों के घर भोग खाना पड़ेगा
गंगाजल लाके छिड़काव कराया रोली और मोली से थाल सजाया , बुलाये सारी नगरी तुम्हें आना पड़ेगा गरीबों के घर भोग खाना पड़ेगा
पंडित सत्संगी को सबको बुलाया कोरे से बर्तन में भोग लगाया , भजन हमारे सुनके आना पड़ेगा गरीबों के घर भोग खाना पड़ेगा
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