सतगुरु खेल रहे हैं होली अपने हरि भक्तों के संग
दुनिया खेल रही है होली कर कर के हुड़दंग , गुरु हमारे होली खेलें कर कर के सत्संग
सतगुरु खेल रहे हैं होली अपने हरि भक्तों के संग
धर्म के कर्म की ले पिचकारी भरे विवेक का रंग , जिसके दिल पे लगे निशाना रह जाये वो दंग
सतगुरु खेल रहे हैं होली अपने हरि भक्तों के संग
ज्ञान गुलाल मलत मुख ऊपर प्रेम का भरके रंग , भाव भक्त का रंग लगाकर गावत सबके संग
सतगुरु खेल रहे हैं होली अपने हरि भक्तों के संग
सतगुरु खेलें संगत खेले कृष्ण राधिका संग , सीता संग रघुवर जी खेलें गुरु हमारे संग
सतगुरु खेल रहे हैं होली अपने हरि भक्तों के संग
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